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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2644
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. बालक के सामाजिक विकास में परिवार की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
2. बालक के सामाजिक विकास में विद्यालय की क्या भूमिका है।
3. बालकों के सामाजिक विकास को विपरीत लिंगीय सम्बन्ध किस प्रकार प्रभावित  करते हैं?
4. मनोरंजन की सुविधायें बालकों के सामाजिक विकास को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?


उत्तर-

बालक के सामाजिक विकास या सामाजीकरण पर अनेक तत्वों का प्रभाव पड़ता है। इनमें से कुछ प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं-

1. शारीरिक ढाँचा एवं स्वास्थ्य (Body Structure and Health) बालक के सामाजिक विकास पर उनके शारीरिक ढाँचे एवं स्वास्थ्य का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। बालक शरीर में सुगठित मजबूत, स्वस्थ तथा सुन्दर होते हैं उन्हें अपने समूह तथा समाज में सम्मान मिलता है जिससे उनका सामाजिक विकास अपेक्षाकृत अच्छा होता है। इसके विपरीत जो बालक रंग-रूप में भद्दे अपाहिज क्षीण, बेडौल तथा रोगग्रस्त होते हैं उनमें 'हीनत्व की भावना का विकास हो जाता है जिसके कारण वह समाज के दूर भागने का प्रयास करता है जिसके कारण उसका सामाजिक विकास अवरुद्ध हो जाता है।

2. संवेगात्मक विकास (Emotional Development) बालक के संवेगात्मक विकास का उसके सामाजिक विकास पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। प्रायः यह देखा गया है कि जो बालक हँसमुख, विनोदप्रिय तथा संवेगात्मक रूप से स्थिर होते हैं, उनका सामाजिक विकास उत्तम होता है। इसके विपरीत, चिड़चिड़े, सांवेगिक रूप से अस्थिर होते हैं, उनका अन्य लोगों से घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित नहीं कर पाता है जिसके फलस्वरूप उनका संवेगात्मक विकास उचित रूप से नहीं हो पाता है।

3. परिवार की भूमिका (Role of Family) परिवार बालक के लिए प्रथम सामाजिक वातावरण होता है। किम्बल यंग (Kimboll Young) के शब्दों में, "समाज के अन्दर सामाजीकरण के विभिन्न साधनों में परिवार सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। परिवार का बालक पर जो प्रभाव पड़ता है वह सबसे स्थायी और महत्वपूर्ण होता है। इसका मस्तिष्क 'कोरी प्लेट' के समान होता है और परिवार के प्रभाव सबसे पहले मस्तिष्क पर अंकित होता है और अन्य समाजीकरण के प्रभाव जो मस्तिष्क पर पड़ते हैं वे प्रायः पूर्व अंकित प्रभावों का स्वरूप ग्रहण कर लेते हैं। बालकों के समाजीकरण पर माता-पिता के आपसी सम्बन्धों का विशेष प्रभाव पड़ता है। यदि माता-पिता के सम्बन्ध स्नेहपूर्ण होंगे तो उनका सामाजिक विकास उत्तम होगा।

4. परिवार का सामाजिक एवं आर्थिक स्तर (Social and Economic Standard of Family) बालक के समाजीकरण में उसके परिवार के सामाजिक एवं आर्थिक स्तर का भी अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। श्री जे. एस. प्लाण्ट ने इस सम्बन्ध में कुछ अध्ययन किये हैं जिनके आधार पर वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि यदि बालक के परिवार पर आर्थिक संकट आता है तो उनमें सहनशीलता इत्यादि गुणों का विकास हो जाता है और वे बड़े होकर धन संग्रह में सुख एवं सन्तोष का अनुभव करते हैं। अतः वे दूसरों के सामने स्वयं को हीन समझते हैं।

5. विद्यालय की भूमिका (Role of School) विद्यालय बालक के सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और उसे औपचारिक शिक्षा प्रदान करता है। विद्यालय में ऐसे अनेक तत्व जैसे शिक्षा, शिक्षक, विद्यार्थी, दण्ड, पुरस्कार, स्काउटिंग, प्रवचन विभिन्न प्रकार के खेल, कवि- गोष्ठी, पुस्तकालय, वाचनालय, राष्ट्रीय एवं सामाजिक समारोह, परीक्षाफल आदि होते हैं जो बालक के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक, नैतिक व आध्यात्मिक विकास के लिए प्रेरणा देते हैं। विद्यालय में बालक विभिन्न वर्गों तथा जातियों के बच्चों से सम्पर्क में आता है जिससे उसमें सहिष्णुता के गुणों का विकास होता है। वहाँ पर उसे सामाजिक, सांस्कृतिक तथा नैतिक आदर्शों तथा मूल्यों की शिक्षा प्राप्त होती है। विद्यालय की सबसे महत्वपूर्ण बात जो बालक के सामाजीकरण में विशेष प्रभाव डालती है, वह प्रतियोगिता है। इसके अतिरिक्त विद्यालय में अनुशासन स्थापना का प्रयास भी उसके सामाजीकरण में विशेष प्रभाव डालता है।

6. सामाजिक चिन्ता (Social Anxiety) - जब बालक एवं बालिकायें 'किशोरावस्था' को प्राप्त कर लेते हैं तो उनकी सामाजिक मान्यता प्राप्त करने की प्रबल इच्छा होती है। परिणामस्वरूप वे ऐसे सामाजिक व्यवहार करने का प्रयास करते हैं जिससे उन्हें सामाजिक व्यवहार करने का प्रयास करते हैं जिससे उन्हें सामाजिक प्रतिष्ठा एवं मान्यता प्राप्त हो। जिन बालकों में सामाजिक प्रतिष्ठा जितनी अधिक होती है, उनका सामाजिक विकास उतना ही अधिक होता है।

7. बालक-बालिका सम्बन्ध (Boys - Girl Relationship) - बाल्यावस्था के प्रारम्भ काल में बालक-बालिकायें एक साथ खेलते हैं परन्तु कुछ समय के उपरान्त नैसर्गिक प्रवृत्ति एवं सामाजिक बन्धनों के कारण बालक एवं बालिकायें अपने-अपने लिंग के सदस्यों के साथ खेलने में रुचि लेते हैं। बाल्यावस्था के पश्चात् जब वे किशोरावस्था में प्रवेश करते हैं तो उनमें पुनः विषमलिंगीय के प्रति स्वाभाविक आकर्षण के रुचि उत्पन्न होने लगती हैं। किशोर किशोरी से तथा किशोरी किशोर से मिलने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं परन्तु भारतीय समाज में इस स्वाभाविक एवं स्वतन्त्र मिलन को पाप समझा जाता है। जिसका दुष्परिणाम यह होता है कि उनकी भलीभांति सामाजिक विकास नहीं हो पाता है और न ही उनमें एक-दूसरे के प्रति जिज्ञासा शान्त हो पाती है। आधुनिक भारत में विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता फैलने का एक कारण लिंगीय पृथक्करण का सिद्धान्त भी है।

8. संस्कृति (Culture) बालक के सामाजिक विकास में सांस्कृतिक वातावरण का बहुत प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि यूरोप में जन्म लेने वाले बालक का व्यवहार भारत में जन्म लेने वाले बालक से भिन्न होता है। भारतीय संस्कृति में परम्परागत जनश्रुति परम्परायें किसी अलिखित संविधान की भाँति महत्वपूर्ण होती हैं। परिणामस्वरूप यहाँ के बालक-बालिकाओं में अंधविश्वास, धार्मिक कूपमण्डूकता, भाग्यवादिता का साम्राज्य फैला होता है। परन्तु योरोपीय संस्कृति में पले हुए बालकों का दृष्टिकोण पूर्णरूपेण वैज्ञानिक होता है।

9. बाल समुदाय (Gangs) बाल मनोवैज्ञानिकों का विचार है कि बालक के सामाजिक विकास में बाल समुदाय का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। एक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक का कथन है कि यद्यपि बालक नागरिकशास्त्र का पाठ अपनी कक्षा में अध्यापक से पढ़ता है किन्तु प्रजातन्त्र का पाठ अपने समुदाय में रहकर सीखता है। यद्यपि बालक समाज में रहकर कुछ बुरे गुण भी सीखता है, परन्तु बुरे गुणों की तुलना में अच्छे गुण अधिक मात्रा में सीखता है। सामान्यतः बालक समुदाय में रहकर सामूहिक जीवन में निःस्वार्थ प्रवृत्ति सहयोग की भावना, साहस, सहिष्णुता, न्यायप्रियता, ईमानदारी, आत्म-अनुशासन की भावना का सम्मान करना, प्रजातन्त्र दूसरों की भावना आदि गुणों को सीखता है साथ-साथ गन्दे मजाक, झूठ बोलना, शरारत पलायन की प्रवृति, बड़ों की आज्ञा की अवहेलना, नियमों को तोड़ना, सौगन्ध खाना, गाली देना आदि दुर्गुणों को भी सीखता है जैसे-जैसे बालक का सामाजिक विकास होता जाता है वैसे-वैसे उसके दुर्गण दूर होते जाते हैं तथा वांछित गुणों का विकास होता जाता है।

मनोरंजन की सुविधायें (Facilities of Recreation) जिन बालकों को मनोरंजन तथा खेल की समुचित सुविधायें प्राप्त होती हैं उनका सामाजिक विकास बहुत अच्छी तरह से होता है किन्तु जो बालक इन सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं उनमें प्रायः विभिन्न समाज विरोधी प्रवृत्तियों विकसित हो जाती हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
  2. प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  3. प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
  5. प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
  6. प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  9. प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
  10. प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
  11. प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
  12. प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
  13. प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
  14. प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
  16. प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
  17. प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
  19. प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
  20. प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
  23. प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
  24. प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
  25. प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
  26. प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
  28. प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
  29. प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
  30. प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
  31. प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
  32. प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
  33. प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  34. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
  35. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
  37. प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
  38. प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  42. प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
  48. प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
  51. प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
  54. प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
  56. प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
  57. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
  58. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
  59. प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
  60. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
  64. प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
  65. प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
  66. प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
  67. प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
  68. प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
  72. प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
  74. प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
  75. प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
  77. प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
  79. प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
  80. प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
  81. प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
  82. प्रश्न- किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, भाषा विकास एवं नैतिक विकास का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
  84. प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
  85. प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
  86. प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
  87. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  88. प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
  90. प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
  92. प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
  93. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- आत्म की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
  95. प्रश्न- शारीरिक छवि की परिभाषा लिखिए।
  96. प्रश्न- प्राथमिक सेक्स की विशेषताएँ लिखिए।
  97. प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- सृजनात्मकता और बुद्धि में क्या सम्बन्ध है?
  99. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कावस्था के मानसिक लक्षणों पर प्रकाश डालिये।
  101. प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं?
  102. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।
  103. प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
  104. प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
  105. प्रश्न- वृद्धावस्था में संज्ञानात्मक सामर्थ्य एवं बौद्धिक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
  106. प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
  107. प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
  109. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
  110. प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
  111. प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।

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